“पुष्कल” – शिव जी का पर्याय है इसका शाब्दिक अर्थ है – पूर्ण, भव्य और उत्कृष्ट। संगठन इसी ध्येय और विषय को सार्थक बनाने में प्रयास और योगदान करेगी।अपने समाज को उत्कृष्ट बनाने में, जो लोग वंचित हैं उन्हें पूर्ण करने में और अपनी संस्कृति और परम्परा की गहरायी को समझ और पहचान कर आप-हम सब के योगदान से इसे और भव्य रूप प्रदान कर खुद भी उस भव्यता का हिस्सा बनेंगे। संगठन में शक्ति है इस ध्येय से संगठित होकर समाज के उत्थान और प्रगति के लिए हम सभी प्रयास रत रहेंगे।
हम सभी ज्ञान युक्त हैं, चीजों की समझ भी है पर बुराई की समृद्धि और दुर्वस्था को देखते हुए बढ़ने को विवश है। पर अब नहीं , हम लोग भगवान द्वारा दिए हुए साधन और योग्यता का उपयोग कर अपने आस पास की क्षति जनक तत्वों का निराकरण कर और उपलब्ध संसाधनों को संरक्षित कर अपने समुदाय और देश को और भी संपूर्ण, समृद्ध और प्रचुर बनाने में यथा संभव योगदान देंगे।| यह संस्था सेवा करने के लिए एक मंदिर (a temple to serve) है जिसमें भाग लेकर हम अपने लिए बेहतर वातावरण, अपने आस पास और समुदाय में शिक्षित माहौल, अपने बंधुओ और बच्चों के लिए संस्कारित और वृहद् संस्कृति की छवि और अपने आने वाली पीढ़ी को संरक्षित संसाधन मिले ऐसा सुनिश्चित करेंगे।
अर्थात शरीर और गुण इन दोनों में बहुत अन्तर है। शरीर थोड़े ही दिनों का मेहमान होता है जबकि गुण प्रलय काल तक बने रहते हैं। आदरणीय पूर्वजों द्वारा कहे हुए इन शब्दों को आधार मान कर अपने गुणों का उपयोग और विकास करते हुए समाज में चहुमुखी उन्नति और सबके विकास के लिए यथा संभव योगदान देंगे। अपनी संस्कृति और संस्कार को ग्रहण कर अपने व्यक्तिगत उत्थान और आचरण में विकास करें फिर अपने समुदाय और वंचित लोगो को अपने क्षमता के अनुसार शिक्षा प्रदान करें और इन सबके विस्तार के लिए इसकी सीख सबको दें, इसी ध्येय से आगे चलेंगे। इसके आदर्श वाक्य- The seed of good works, sown in the right place gives great results. (अच्छे कर्मों का बीज, सही जगह बोया जाए तो बहुत अच्छा फल मिलता है।) इस संस्था के आदर्श वाक्य को सार्थक करते हुए हम खुद वो बीज बनेंगे और अपने समाज में ऐसे बीजारोपण करेंगे जो उत्कृष्ट समाज की कल्पना को सार्थक करने में सहयोग करेगी।