हम सभी अपने लिए या आने वाली पीढ़ी के लिए धन और सम्पदायें संग्रहित करते हैं पर कभी सोचा है की जब प्राकृतिक संसाधन जैसे जल, पानी, मिट्टी और हवा दूषित हो जायें और वो उपयोग करने के लिए न मिले, तो क्या उन्हें किसी प्रकार के धन से प्राप्त किया जा सकता है? अभी के परिवेश में और हाल ही में हम सब ने भीषण महामारी का प्रकोप देखा। जिससे बचने के लिए स्वच्छता और सफाई सबसे सर्वोच्च प्राथमिकता पर रही है। इसने सभी को स्वच्छता की उपयोगिता और पर्यावरण को संरक्षित करने का महत्व समझा दिया है। फिर भी इसके प्रभावी रूप से फायदा लेने के लिए हम सब की सहभागिता आवश्यक है। ताकि आने वाले समय में हमारे परिजन और हमसे जुड़े लोग प्रदूषित संसाधनों द्वारा उत्पन्न संकट से बच सकें। कालांतर में प्रदुषण से विभिन्न जगहों पर प्राकृतिक सम्पदायें संकट के कगार पर पहुंच चुकी है। दुनिया के कई हिस्सों में पानी की किल्लत और प्रदुषण से लाइलाज रोग जैसे संकट दिखने लगे हैं। अगर अभी हम सब सचेत न हों तो इसके दुष्परिणाम से बच नहीं पाएंगे। आइये हम सब साथ मिलकर अपने घर की सफाई के साथ थोड़े से प्रयास से अपने मुहल्ले, नगर और राष्ट्र को स्वच्छ बनाये रखने में अपना सहयोग दें। साथ ही प्राकृतिक संसाधन के संरक्षण द्वारा खुद को, अपने परिजनों, समुदाय और समाज के लोगो को स्वच्छ वातावरण और हवा से लाभान्वित हों।
Cleanliness is next to Godliness अर्थात स्वच्छता भक्ति से बढ़कर है। बापू के इन वचनों को सार्थक करने हेतू प्रधानमंत्री जी ने भी स्वच्छ भारत अभियान का शुरुआत सन 2014 में किया। इसका मुख्य उद्देश्य हमें और आपको स्वच्छता के प्रति जागरूक करने का है जिसमे फायदा हमारा ही है और हमारे योगदान की इसमें बेहद आवश्यकता है। वैसे तो स्वक्षता सिर्फ जगह की नहीं होती. मन, ह्रदय, चरित्र और स्थान सब को साफ़ और स्वच्छ रखने की आवश्यकता होती है। जिस तरह हम अपने शरीर को साफ़ रखने लिए स्नान करते हैं, अपने घर को साफ़ रखते हैं उसी प्रकार हमारी जिम्मेदारी होती है की हम अपने आस पास के वातावरण, मुहल्ले, गली और नगर को साफ़ रखने में अपनी सूझ बुझ के अनुसार योगदान करें। आजकल के चलन में ऐसा हो गया है कि हम सब लोग अपना घर साफ़ रखना चाहते हैं, अपने घर के दरवाजे को साफ़ करने में तत्पर होते हैं, पर दुर्भाग्यवश अपने ही घर के पास के खाली स्थान में घर का सारा कूड़ा डाल देते हैं और अंतत: वह स्थान कूड़े फेकने का केंद्र बन जाता है और हम अपने ही वातावरण को प्रदूषित कर दूषित हवा लेने को विवश हो जाते हैं। हम घर से निकली नाली के निष्कासन को भी अच्छा स्वरुप देने के बजाए रास्ते पर ही छोड़ देते हैं। आइये हम सब मिल कर निश्चय करते हैं की अपने नगर और आस पास के जगहों को साफ़ रखने में सहयोग करेंगे, पौधे रोपण से हवा को स्वच्छ रखने में योगदान देंगे, पानी के दुरूपयोग से बचेंगे, दुसरो को भी गन्दगी फ़ैलाने से रोकेंगे और अपने घर के साथ अपने पड़ोस, मोहल्ले और नगर को साफ़ रखेंगे| सभी ऐसा करते हैं तो अपने नगर और राष्ट्र को स्वच्छ बनाने में अद्वितीय योगदान दे पाएंगे।
सतर्कता जागरूकता अभियान – अपने दैनिक जीवन में अपनाने वाली आदतों के प्रति जागरूकता जिसको अपना कर अपने वातावरण और स्थानीय जगह को स्वच्छ रखने में योगदान दिया जा सकता है। वृक्षारोपण – लगभग 20000 kg ऑक्सीजन औसतन एक इंसान अपने जीवनकाल में उपभोग करता है। (विश्व में इंसान के औसत आयु 70 वर्ष के आधार पर ) एक परिपक्व पत्तेदार पेड़ एक मौसम में उतनी ही ऑक्सीजन पैदा करता है जितना एक साल में 10 लोग सांस लेते हैं। इसलिए हम सभी सुनिश्चित करें की कमसे कम एक बड़ा छायेदार वृक्ष रोपें और किसी के द्वारा रोपें हुए पेड़ जिसे आप नष्ट होता देख रहें हैं- उसमें पानी, खाद डाल कर संरक्षित करें।