“वसुधेव कुटुंबकम” अर्थात पूरा विश्व हमारा परिवार है। यह इस सोच को प्रोत्साहित करने का प्रयास करता है कि संपूर्ण मानव जाति एक परिवार है। इससे यह भी प्रदर्शित होता है कि पूरी मानव जाति एक जीवन ऊर्जा से बनी है यदि परमात्मा एक है तो हम कैसे अलग अलग हो सकते हैं? जिस प्रकार समुद्र और उसकी बूँद अलग नहीं उसी प्रकार परमात्मा और उसके द्वारा बनाये हुए विश्व, देश और विदेश के सारे प्राणी उस परिवार का हिस्सा हैं। हम इस परम्परा और संस्कार को मानने वाले के वंशज हैं इसलिए हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि इसमें हम यथा संभव सहयोग दें। शिक्षा पर सभी का अधिकार है और मौलिक शिक्षा का, पुरे विश्व में किसी भी व्यक्ति के जीवन को सुगम बनाने में अभूतपूर्व योगदान होता है। हम आप शिक्षित हैं यह हमारा सौभाग्य है, पर दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि इस आधुनिक युग में जहाँ तकनीक और विश्व नई ऊचाईयां छू रहा है उसके बाद भी हमारे समाज का बड़ा हिस्सा साक्षरता से अभी भी वंचित है। अभी भी भारत में 30 प्रतिशत महिला और 16 प्रतिशत पुरुष साक्षरता से वंचित है। बिहार में यह अनुपात काफी ज्यादा है जहाँ 30 प्रतिशत पुरुष और लगभग 47 प्रतिशत महिलाएं साक्षर नहीं हैं। गांवों में और वंचित बस्ती में आज के इस आधुनिक युग में, बहुत सारे बच्चे अब्दुल कलाम और लाल बहादुर शास्त्री जैसे बनने की क्षमता रखते हुए साधन और सुविधा के आभाव में बुनियादी शिक्षा से भी वंचित हैं। ऐसा कहा गया है की अगर महिला शिक्षित हों तो पूरी पीढ़ी सुधरती है। वो अपनी शिक्षा दीक्षा अपने बच्चोँ को भी प्रदान करती हैं और उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।उन सभी वंचित क्षेत्र और बस्ती जहाँ पर बुनियादी जरुरत के आभाव में बच्चे से बड़े सभी शिक्षा और साक्षरता से वंचित हैं, संस्था के इस प्रोग्राम के तहत उन जगहों पर शिक्षा केंद्र (विद्यास्थली) और साक्षरता शिविर का आयोजन समय समय पर किया जायेगा। उन्हें मौलिक शिक्षा प्रदान करते हुए, इसकी उपयोगिता और अपने जीवन को बेहतर बनाने में शिक्षा के योगदान और शिक्षा एवं रोजगार के विकल्प के बारे में बताया जायेगा। हम सब मिल कर अपनी शिक्षा और जानकारी को जब भी मौका मिले उनके साथ साझा कर सकते हैं। महिला, बड़े, बूढ़े और बच्चे सबको मौलिक व बुनियादी शिक्षा प्रदान करेंगे जिसमें ज्ञान वर्णमाला, शब्द ज्ञान, जोड़, घटाव और साक्षरता भी है, जो उन लोगो के निहित होगा और “चलो जलाये दीप वहाँ जहाँ अभी भी अंधेरा है” के संकल्प के साथ आगे बढ़ेंगे।
आप किसी भी दिन अपनी शिक्षा और जानकारी को अपने आस पास के बस्ती जहाँ पर बड़े, बूढ़े, महिला और बच्चे उचित शिक्षा नहीं पा सके उनके लिए कुछ समय निकाल कर बुनियादी शिक्षा देंगे।